Mutual Fund kya hai, म्युचअल फंड क्या है, mutual fund in hindi, mutual fund se paisa kaise kamaye, म्युचअल फंड से पैसा कैसे कमाए, What is mutual funds in Hindi
हर इंसान चाहे वो नौकरी करता हो या कोई अन्य व्यवसाय उसकी एक इच्छा होती है कि वह अपने खर्चों के साथ साथ कुछ बचत भी करे और उस बचत को कहीं निवेश किया जाना चाहिए। निवेश करने के बहुत से साधन बाज़ार में उपलब्ध हैं जैसे कि फिक्स्ड डिपाजिट (fixed deposit), रेकरिंग डिपाजिट (recurring deposit) , लाइफ इन्शुरेंस पालिसी (life insurance policy) और पी पी एफ (PPF) इत्यादि। इन्ही के साथ साथ इन्वेस्टमेंट का एक और साधन है म्युचअल फंड (mutual fund) जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ है पारस्परिक नीधि। आज हम म्युचअल फंड के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
शेयर मार्किट हर व्यक्ति को अपनी और आकर्षित करता है, सभी चाहते हैं शेयर मार्किट में निवेश करके अच्छा प्रॉफिट कमाया जा सके लेकिन यह सभी के लिए मुमकिन नहीं है इसके बहुत से कारण हैं जैसे कि पर्याप्त जानकारी का अभाव – शेयर मार्किट में यदि पर्याप्त जानकारी का अभाव है तो इसमें फायदे की जगह नुक़साम होने की सम्भावना अधिक होती है।
इसके बाद दूसरा कारण है समय का अभाव – शेयर्स में निवेश करने से पहले उसका पूरा विवरण जांच लेना चाहिए जो कि समय के अभाव के कारण निवेशक यह नहीं कर पाते और गलत जगह पर या गलत समय पर निवेश करके नुक्सान उठाते हैं। इसके आलावा और भी बहुत सारे कारणों की वजह से निवेशक सीधे शेयर मार्किट में निवेश करने से घबराता है इसलिए वह म्युचअल फंड में निवेश करता है। यह अप्रत्यक्ष रूप से शेयर मार्किट में निवेश करता है जिससे कि उसकी पूँजी का जोखिम कम हो जाता है लेकिन उसे शेयर मार्किट के मुकाबले प्रॉफिट भी कम मिलता है।

म्युचअल फंड क्या है? (What is Mutual Fund in Hindi)
किसी बैंक या संस्थान द्वारा एक फंड हाउस बनाया जाता है जिसमे बहुत सारे लोगों द्वारा पैसा जमा होता है। वहां पर उस पैसे को मैनेज करने के लिए फंड मैनेजर होते हैं। ये फण्ड मैनेजर उस पैसे को शेयर मार्किट में अलग अलग विभाग के अच्छे शेयर्स पर पैसा लगते हैं। लाभ (profit/प्रॉफिट) होने पर कुछ प्रतिशत उस बैंक या संस्थान का होता है और बाकि निवेशकों में बाँट दिया जाता है।
म्युचअल फंड को यहाँ एक उदाहरण से समझते हैं। मान लो कि एक 500 गज का प्लाट है जिसकी कीमत एक करोड़ है यानी कि एक गज 20000 रुपए का है। यदि कोई एक व्यक्ति इसे लेने में सक्षम नहीं है तो 5 लोग मिलकर इसे ले लेंगे। इस तरह से हर व्यक्ति को 20 लाख रूपए देने होंगे। प्रत्येक के हिस्से में 100 गज का प्लाट आएगा। म्युचअल फंड के हिसाब से हर गज एक यूनिट है और यहाँ सभी को 100 – 100 यूनिट मिल गए हैं। कुछ समय बाद उस प्लाट की कीमत अगर 1.5 करोड़ हो जाती है तो एक यूनिट की कीमत 30000 रूपए हो जाएगी।
इसी प्रकार म्युचअल फंड में बहुत सारे लोग पैसा लगाते हैं और फंड मैनेजर उस पैसे को अलग अलग जगह निवेश कर देते हैं इसमें बहुत तरह के शेयर्स और बांड्स होते हैं, इन सब के मिक्सचर को कुछ नंबर में बाँट दिया जाता है और इसके एक हिस्से को एक यूनिट बोला जाता है।
माना कि कोई ABC फंड 20 % ऑटो सेक्टर में , 10 % फार्मा सेक्टर में , 10 % FMCG में , 15 % आई टी सेक्टर में , 5 % टेलीकॉम में , 20 % गवर्मेंट बांड्स में और 20 % अन्य किसी क्षेत्र में लगाया हुआ है। कोई व्यक्ति एक सीमित फंड के चलते इन सभी कंपनियों के शेयर नहीं खरीद सकता मगर वह ABC म्युचअल फंड में निवेश करके इन् सभी कंपनियों में हिस्सेदारी ले सकता है।
एसेट मैनेजमेंट कंपनी क्या है?
भारत में बहुत सी म्युचअल फंड चलाने वाली कम्पनीज चल रही हैं। इन म्युचअल फंड कम्पनीज को एसेट मैनेजमेंट कम्पनीज या AMC भी कहते हैं। AMC, दरअसल, सेबी में रजिस्टर्ड ऐसी कंपनी होती है, जो म्युचअल फंड स्कीम बनाती हैं और लोगों से पैसा जमा करवा कर आगे शेयर मार्किट में निवेश करती हैं।
यह कम्पनीज बहुत सी म्युचअल फंड योजनाएं संचालित करती हैं। हर योजना में निवेश का अलग लक्ष्य (Goal) होता है। जैसे कोई एक स्कीम सिर्फ बड़ी कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाती है तो दूसरी सिर्फ छोटी कंपनियों में निवेश करेगी। कोई तीसरी स्कीम सिर्फ गवर्नमेंट बांड्स में पैसा लगा सकती है। इस तरह से हर कंपनी अलग-अलग उद्देश्यों वाले कई म्युचअल फंड योजनाएं शुरू करती है। यही कंपनी फंड मैनेजर को भी नियुक्त करती हैं।
फंड मैनेजर (Fund Manager ) का क्या काम है?
हर म्युचअल फंड योजना में जो पैसा एकत्रित होता है उसे सही जगह निवेश करने के लिए कंपनी के पास अपनी रिसर्च टीम भी होती है जो कि निवेश की रणनीति (इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी) पर काम करती है ,और इस टीम में बहुत सारे फंड मैनेजर होते हैं जिन्हे रिसर्च करके निवेश करने की जिमेदारी दी जाती है। कोई एक व्यक्ति कई योजनाओं का फंड मैनेजर भी हो सकता है। किसी एक म्यूचुअल फंड कंपनी या एसेट मैनेजमेंट कंपनी के पास कई फंड मैनेजर्स होते हैं।
एनएवी क्या है? What is NAV?
म्यूचुअल फंड की एक यूनिट की कीमत को एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) कहते हैं। यह नेट एसेट वैल्यू ही उस म्युचअल फंड योजना की performance (प्रदर्शन) को बताता है।
मान लिया कि आप म्युचअल फंड में निवेश करना चाहते हैं। आप 10 रुपए में NFO Period में म्यूचुअल फंड की एक यूनिट खरीद लेते हैं। NFO Period के दौरान इस म्यूचुअल फंड की NAV 10 रुपए होगी। अब यह भी मान लेते हैं कि आप ही की तरह और भी 24 लोगों ने म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीदी है। इस तरह से उस म्यूचुअल फंड योजना ने कुल 25 यूनिट बेचकर 250 रुपए इकट्ठा किए हैं।
अब आपका फंड मैनेजर इन 250 रुपयों में कुछ शेयर्स खरीद लेता है। मान लिया, आपके 250 रुपए के शेयर्स की कीमत एक साल बाद 400 रुपए हो जाती है। तो अब उस म्यूचुअल फंड की हर यूनिट की कीमत हो गई 400/25=16 रुपए। यानी कि हर यूनिट की एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) 16 रुपए हो गई है।
निष्कर्ष
इस लेख में हमने जाना कि म्युचअल फंड (Mutual Fund ) क्या होता है और यह किस प्रकार काम करता है। इसी के साथ साथ हमने एन ए वी, एसेट मैनेजमेंट कंपनी और फंड मैनेजर के बारे में भी विस्तार से जाना। इससे हमे यह सीखने को मिला कि यदि हमे शेयर मार्किट का ज्ञान नहीं है तो भी हम म्युचअल फंड में निवेश करके अच्छा रीटर्न पा सकते हैं।
1. एक साल में म्यूचुअल फंड कितना रिटर्न देता है?
एक साल में अधिकतर म्यूच्यूअल फंड 12% से 15% रिटर्न देते हैं। हालांकि मार्केट में उतार-चढ़ाव के चलते फंड के रिटर्न कम या ज्यादा हो सकते हैं
2. म्यूचुअल फंड कितने साल तक रखना चाहिए?
अगर आप म्यूचुअल फंड से अच्छा पैसा चाहते है तो आपको इसे कम से कम 5 से 10 साल तक रखना चाहिए।
3. क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर टैक्स में छूट मिलती है?
नहीं, इसमें निवेश करने पर भी आपको टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। कुछ ही म्यूचुअल फंड है जिसमे टैक्स पर छूट मिलती है।
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